राजस्थान / कांग्रेस में शामिल 6 बसपा विधायकों को मंत्री और बोर्ड-आयोगों में अध्यक्ष पद मिल सकते हैं

जयपुर. राजस्थान में एक दिन पहले कांग्रेस में शामिल हाेने वाले बसपा के सभी 6 विधायकाें काे मंत्री और बाेर्ड-आयोगों में अध्यक्ष पद दिए जा सकते हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जल्द ही मंत्रिमंडल में फेरबदल का ऐलान कर सकते हैं। लंबे समय से अटकी बोर्ड-आयोगों में नई नियुक्तियां भी जल्द शुरू हाेने की संभावना है।


माना जा रहा है कि गहलोत सरकार ने बसपा विधायकों के विलय के इंतजार में ही ये नियुक्तियां रोकी हुई थीं। अभी मुख्यमंत्री गहलोत समेत प्रदेश में कुल 25 मंत्री हैं। इनमें 15 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री हैं। सरकार में मंत्री और संसदीय सचिवों की कुल संख्या 30 से ज्यादा नहीं हो सकती। ऐसे में अगर मंत्रिमंडल फेरबदल में माैजूदा मंत्रियाें में से किसी काे नहीं हटाया जाए ताे 5 नए मंत्री शामिल किए जा सकते हैं। 


 

2009 में भी गहलोत ने ऐसा ही किया था 



  • 2009 में भी मुख्यमंत्री गहलोत ने बसपा के सभी छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने के बाद तीन को संसदीय सचिव और तीन को मंत्री बनाया था। उस समय बसपा छाेड़ने वाले विधायक गिर्राज सिंह, रमेश मीणा और रामकेश को संसदीय सचिव तथा मुरारी मीणा को तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री, राजकुमार शर्मा को चिकित्सा राज्य मंत्री और राजेंद्र गुढ़ा को पर्यटन राज्य मंत्री बनाया गया था।

  • अब बसपा से कांग्रेस में आए छह विधायकाें राजेन्द्र गुढ़ा (उदयपुरवाटी), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई), वाजिब अली (नगर), लाखन सिंह मीणा (कराैली), संदीप यादव (तिजारा) और बसपा विधायक दीपचंद खेरिया (किशनगढ़बास) को सरकार में कुछ न कुछ हिस्सेदारी मिलेगी। दूसरी ओर, मौजूदा सरकार में अभी कांग्रेस के कई वरिष्ठ विधायक भी बिना पोर्टफोलियो के हैं। इनमें से कई विधायक मंत्री न बनाए जाने काे लेकर अप्रत्यक्ष रूप से असंताेष भी जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में बसपा से कांग्रेस में शामिल विधायकों के साथ पार्टी कैडर के नेताओं को सरकार में एडजस्ट करना सीएम गहलोत के लिए बड़ी चुनौती होगी।


गहलोत और बसपा विधायकों ने बहुजन समाज को छला: भाजपा


भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि गहलोत ने बहुजन समाज को धोखा देते हुए दूसरी बार बसपा का कांग्रेस में विलय करवा लिया। उन्होंने कहा, "पिछली बार भी अशोक गहलोत ने दल-बदल के सहारे ही अपनी सरकार 5 साल तक चलाई थी, लेकिन इस बार उनको अपनी ही पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से कड़ी चुनौती मिल रही है। गहलोत को डर है कि उनका मुख्यमंत्री पद जा सकता है, इसलिए उन्होंने बहुजन समाज को धोखा देते हुए दूसरी बार बसपा का कांग्रेस में विलय करवा लिया।" 


मायावती के लगातार तीन ट्वीट



  • पहला: बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को ट्वीट कर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा, "राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने बसपा विधायकों को तोड़कर धोखेबाज़ पार्टी होने का प्रमाण दिया है। यह बीएसपी मूवमेन्ट के साथ विश्वासघात है, जो दोबारा तब किया गया है, जब बीएसपी कांग्रेस सरकार को बाहर से बिना शर्त समर्थन दे रही थी।"

  • दूसरा: कांग्रेस अपनी कटु विरोधी पार्टी/संगठनों से लड़ने के बजाए हर जगह उन पार्टियों को ही सदा आघात पहुंचाने का काम करती है जो उन्हें सहयोग/समर्थन देते हैं। कांग्रेस इस प्रकार एससी, एसटी, ओबीसी विरोधी पार्टी है। 

  • तीसरा: कांग्रेस हमेशा ही अम्बेडकर विरोधी रही। इसी कारण अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री से इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया, जो अति-दुःखद व शर्मनाक है।


गहलाेत ने 6 ट्वीट से दिया जवाब



  • दाेपहर 2:26 व 2:27 बजे : बसपा विधायकों ने स्टेबल गवर्नमेंट की सोच से फैसला लिया। मैं स्वागत करता हूं।

  • दाेपहर 2:50 बजे : मायावतीजी का ऐसा रिएक्शन स्वाभाविक है...परंतु उनको यह भी समझना पड़ेगा कि यह सरकार में बैठे हुए लोगों ने मैनेज नहीं किया है, कोई प्रलोभन नहीं दिया है।

  • दाेपहर 2:56 बजे : पहले भी हम लोग सरकार में थे, तब भी बीएसपी के 6 लोग साथ आए थे। आज तक हमने कभी किसी को प्रलोभन नहीं दिया है।

  • दाेपहर 2:59 बजे : हमने उन पर दबाव नहीं बनाया, उसके बाद फैसला होना स्वाभाविक फैसला है।

  • दाेपहर 3:23 बजे : देश में जब कभी गठबंधन हुआ है तो हम तो उन लोगों में हैं जो सोनिया गांधीजी, राहुलजी की भावना को समझते हुए, हमेशा मायावतीजी के साथ में खड़े मिले हैं...इस बात को वे स्वयं मेरे बारे में जानती हैं।